राष्ट्रीय शिक्षा नीति
भारतीय संविधान के भाग 4 में उल्लेखित नीति निर्देशक तत्वों में कहा गया है कि प्राथमिक स्तर तक के सभी बच्चों को अनिवार्य एवं निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की जावेगीl
भारतीय संविधान में उल्लेखित शिक्षा के महान लक्ष्यों की पूर्ति के लिए स्वतंत्र भारत में सबसे पहले 1968 में भारत की पहली शिक्षा नीति जारी की गई जिसमें राष्ट्रीय विकास के प्रति वचनबद्ध चरित्रवान तथा कार्य कुशल युवक-युवतियों को तैयार करने का लक्ष्य रखा गया इसके पश्चात मई 1986 में नई शिक्षा नीति लागू की गई जो अब तक चल रही थी इसके पश्चात 1992 में एक पुनः संशोधन शिक्षा नीति लागू की गई तब से लेकर 29 जुलाई 2020 तकराष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 ही लागू रही.
अब वर्तमान सरकार द्वारा 29 जुलाई 2020 को भारत की नई शिक्षा नीति 2020 नाम से जारी की गई है आइए जानते हैं इस शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण बिंदुओं को
पहला बिंदु --यह नीति वर्तमान की 10 +2 वाली स्कूल व्यवस्था को 3 से 18 वर्ष के सभी बच्चों के लिए पाठ चर्या और शिक्षण शास्त्रीय आधार पर 5+3+3+4 की एक नई व्यवस्था में पुनर्गठित करने की बात करती है
जानती क्या है 5+3+3+4 के फॉर्मेट की शिक्षा पद्धति
इस व्यवस्था में स्कूल के पहले 5 साल में प्री प्राइमरी स्कूल के 3 साल व कक्षा 1 व 2 सम्मिलित हैं फिर अगले 3 साल को कक्षा 3 4 व 5 के तैयारी के चरण में विभाजित किया गया है इसके बाद के 3 साल मध्य चरण अर्थात कक्षा 6 से 8 वीं और इसके पश्चात माध्यमिक अवस्था के 4 वर्ष कक्षा 9 से 12 सम्मिलित हैं
शिक्षा नीति का एक महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि स्कूलों में कला वाणिज्य विज्ञान संकाय का कोई कठोर पालन नहीं होगा विद्यार्थी जो भी पाठ्यक्रम लेना चाहे वह ले सकता है इसका तात्पर्य है यदि कोई विद्यार्थी हिंदी अंग्रेजी भौतिक रसायन के साथ कला या वाणिज्य संकाय के किसी विषय को ले सकता है इसी प्रकार कला संकाय का कोई विद्यार्थी कला संकाय के किसी विषय जैसे इतिहास भूगोल के साथ गणित या रसायन शास्त्र विषय को भी लेना चाहे तो वह ले सकता है तो यह एक बेहद महत्वपूर्ण बदलाव विद्यार्थियों के हित के लिहाज से किया गया है
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